Best Dosti Shayari Dost Ke Liye Shayari

गुज़रे जो अपने यारों की सोहबत में चार दिन ऐसा लगा बसर हुए जन्नत में चार दिन

उम्र-ए-ख़िज़र की उस को तमन्ना कभी न हो इंसान जी सके जो मोहब्बत में चार दिन

जब तक जिए निभाएँगे हम उन से दोस्ती अपने रहे जो दोस्त मुसीबत में चार दिन

दोस्त ख़ुश होते हैं जब दोस्त का ग़म देखते हैं कैसी दुनिया है इलाही जिसे हम देखते हैं

देखते हैं जिसे बा-दीदा-ए-नम देखते हैं आप के देखने वालों को भी हम देखते हैं

बे-महल अब तो सितमगर के सितम देखते हैं कैसे-कैसों को बुरे हाल में हम देखते हैं

हँस के तड़पा दे मगर ग़ुस्से से सूरत न बिगाड़ ये भी मा’लूम है ज़ालिम तुझे हम देखते हैं

लोग क्यूँ कहते हैं तू उस को न देख उस को न देख हम को अल्लाह दिखाता है तो हम देखते हैं

बाग़ की सैर न बाज़ार की तफ़रीह रही हम तो बरसों में किसी दिन पे क़दम देखते हैं

ला’ल हीरे सही तेरे लब-ए-दंदाँ इधर आ तोड़ लेते तो नहीं हैं उन्हें हम देखते हैं

शल हुए दस्त-ए-तलब भूल गए हर्फ़-ए-सवाल आज हम हौसला-ए-अहल‌‌‌‌-ए-करम देखते हैं

चार लोगों के दिखाने को तो अख़्लाक़ से मिल और कुछ भी नहीं दुनिया में भरम देखते हैं

मेरा होना भी न होने के बराबर है वहाँ देखें जो लोग वजूद और अदम देखते हैं

आँख में शर्म का पानी मगर इतना भी न हो देख उन को जो तिरी आँख को नम देखते हैं

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