उत्तराखंड: पहाड़ों पर खतरा बढ़ता जा रहा है, वैज्ञानिकों ने बताई इसकी असली वजह

उत्तराखंड: पहाड़ों पर खतरा बढ़ता जा रहा है, वैज्ञानिकों ने बताई इसकी असली वजह
पहले के मुकाबले अब उत्तराखंड और आस-पास के पहाड़ी इलाकों में पहाड़ खिसकने या गिरने के ज़्यादा मामले देखने को मिल रहे हैं। भू वैज्ञानिकों का कहना है कि पहाड़ों का गुरुत्वाकर्षण केंद्र अपनी जगह से धीरे-धीरे खिसक रहा है और पहाड़ खोखले होते जा रहे हैं जिसकी वजह से आने वाले दिनों में पहाड़ों के और ज़्यादा खिसकने की घटनाएं सामने आ सकती हैं। वैज्ञानिकों ने और क्या कहा –
जैसा की हम सभी लोग जानते है कि उत्तराखंड प्राकृतिक आपदा के लिहाज से बेहद संवेदनशील राज्य है। आए दिन यहाँ कोई ना कोई घटनाएं सामने आती रहती जैसे भूकंप, ग्लेशियर खिसकने या भूस्खलन। केदारनाथ जैसी आपदा ने सभी को दहला कर रख दिया था और किसी ने सपने में भी नहीं सोचा थी कि कभी ऐसा भी कुछ हो सकता हैं। उसके बाद कई और ऐसी घटनाएं हुई जो सभी को हैरानी में डालती हैं। पूरा पढ़ें –
उत्तराखंड के लिए क्या कहते हैं भू-वैज्ञानिकों

भू-वैज्ञानिकों की तरफ से एक नया खुलासा किया गया है जो काफी डराने वाला है। उनका कहना है कि पहाड़ों का गुरुत्वाकर्षण केंद्र अपनी जगह से खिसक रहा है और जिन पहाड़ों पर आबादी है वो खोखले भी होने लगे हैं जिससे आने वाले दिनों में प्रदेश में पहाड़ों के खिसकने की घटनाएं और बढ़ सकती हैं। उनकी तरफ से ये बात सिर्फ उत्तराखंड ही नहीं बल्कि हिमाचल प्रदेश, पूर्वोत्तर भारत के राज्यों में बसे पहाड़ी इलाके और नेपाल, भूटान, तिब्बत जैसे देशों के लिए भी कही गयी है और इन सभी जगहों पर ऐसी घटनाओं के बढ़ने की संभावना ज्यादा है।
जियोलाजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (Geological Survey of India) के पूर्व महानिदेशक डॉ. सोमनाथ चंदेल ने कहा कि पहाड़ों की टो-कटिंग और ज्यादा बारिश से प्रदेश में हालात बिगड़ रहे हैं। पहाड़ों पर लगातार बढ़ते अतिक्रमण से पहाड़ों का पूरा गुरुत्वाकर्षण केंद्र डगमगा चुका है। अगर ऐसा ही चलता रहा ये और ज़्यादा बिगड़ सकता है जिससे हालात और भयंकर हो सकते हैं।
जिस तरह से हम आँखे बंद करके पहाड़ों को नुक्सान पहुँचाते जा रहे हैं ये किसी के लिए भी सही नहीं है। पहाड़ों की टो-कटिंग और लापरवाही से हो रहे निर्माण की वजह से हालात बिगड़ रहे हैं। पहाड़ सिर्फ तभी तक टिका रह सकता है जब तक उसका गुरुत्वाकर्षण केंद्र स्थिर होगा। पहाड़ों पर बेवजह और हद से ज़्यादा बोझ और तोड़फोड़ से पहाड़ को स्थिर रखने वाला गुरुत्वाकर्षण केंद्र अपनी जगह छोड़ देता है जिसका नतीजा ये निकलता है कि पहाड़ अपनी जगह से खिसकने लगते हैं और लैंडस्लाइड की घटनाएं होती हैं। आज कल उत्तराखंड और हिमाचल में भूस्खलन और पहाड़ों के खिसकने की घटनाएं बढ़ रही हैं।
उत्तराखंड में भी पहाड़ों के खिसकने का सिलसिला लगातार जारी है और इसी वजह से पहाड़ी इलाकों में आवागमन भी ठप हो गया है। डॉ. चंदेल के द्वारा इस विषय पर एक शोध किया गया था और उन्होंने अपनी इस रिपोर्ट को पहाड़ी राज्यों को भी सौंपा था। उन्होंने इसका भी सुझाव दिया था कि पहाड़ी राज्यों में पहाड़ों की कटिंग में बैलेंस का पूरा ध्यान रखा जाए। पहाड़ों पर अधिक बारिश होने की वजह से लैंड स्लाइडिंग होना सामान्य बात है लेकिन जब यह घटनाएं किसी मानव निर्मित निर्माण के साथ होती हैं तो इस पर चिंता करना जायज़ है और अगर इस पर सही वक़्त पर काम नहीं किया गया तो आने वाले दिनों में हालात ज़्यादा बिगड़ सकते हैं।
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