रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ का जीवन परिचय, Ramesh Pokhriyal ‘Nishank’ Wikipedia Biography in Hindi – Gyaani Mind

रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ का जीवन परिचय, Ramesh Pokhriyal ‘Nishank’ Wikipedia Biography in Hindi – Gyaani Mind
जीवन परिचय
रमेश पोखरियाल “निशंक” (Dr. Ramesh Pokhriyal ‘Nishank’) का जन्म 15 जुलाई को हुआ था! वह एक भारतीय राजनीतिज्ञ तथा भारत सरकार के वर्तमान केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री हैं। वे उत्तराखण्ड के प्रमुख नेता हैं और एक हिन्दी कवि भी हैं!
रमेश पोखरियाल (Dr. Ramesh Pokhriyal ‘Nishank’) वर्तमान में हरिद्वार क्षेत्र से लोक सभा सांसद है और लोक सभा आश्वासन समिति के अध्यक्ष हैं। डॉ. रमेश पोखरियाल “निशंक” उत्तराखण्ड राज्य के पाँचवे मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं।
उनका जन्म पिनानी ग्राम, पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखण्ड के परमानन्द पोखरियाल और विश्वम्भरी देवी के घर में हुआ था। रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ का विवाह कुसुम कांत पोखरियाल से हुआ है।
उन्होंने हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल यूनिवर्सिटी, श्री नगर, गढ़वाल, उत्तराखंड से कला स्नातकोत्तर, PhD. (Honour), D. Litt. (Honour) की डिग्री प्राप्त की। छात्र ज़ीवन के दौरान, उन्होंने अकादमिक और अतिरिक्त पाठ्यक्रम गतिविधियों दोनों में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर विभिन्न सम्मानों को प्राप्त किया हैं।
पूरा नाम: | रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ (Dr. Ramesh Pokhriyal ‘Nishank’) |
जन्म तिथि: | 15 Jul 1959 |
उम्र: | 61 साल |
जन्म स्थान: | पिनानी, पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखंड |
पार्टी का नाम: | भारतीय जनता पार्टी (BJP) |
शिक्षा (Ramesh Pokhriyal Education): | Doctorate |
व्यवसाय: | कवि, सामाजिक कार्यकर्ता, लेखक |
पिता का नाम: | स्वर्गीय श्री परमानन्द पोखरियाल |
माता का नाम: | स्वर्गीय श्रीमती विशाम्बरी देवी |
पत्नी: | श्रीमती कुसुमकांता |
बेटा: | 2 |
बेटी: | 3 |
पता – स्थाई: संपर्क: | 37/1, रविंद्र नाथ टैगोर मार्ग, विजय कॉलोनी, देहरादून – 248001, उत्तराखंड 0135-2746363, 09458945006 (रमेश पोखरियाल मोबाइल नंबर) |
पता – वर्तमान: | बंगला नंबर 13, तीन मूर्ति लेन, नई-दिल्ली 110011 |
ईमेल: | nishankramesh@gmail.com |
‘‘शब्द कभी नहीं मरते। डाॅ0 निशंक के ये देशभक्तिपूर्ण गीत हमेशा के लिए लोगों की जुबां पर रहेंगे।’’
-अमिताभ बच्चन, महानायक।
रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ की बेटी (Ramesh Pokhriyal Daughter)
रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ की बड़ी बेटी का नाम आरुषि निशंक है। आरुषि निशंक एक Indian Classical Dancer, Film Producer और Environmentalist हैं। इसके अलावा आरुषि देहरादून के हिमालयन आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल की Chairperson भी हैं।
रमेश पोखरियाल की दूसरी बेटी का नाम है डॉ. श्रेयांशी निशंक जिनका चयन Army Medical Corps में 2018 में हुआ था और उनकी पोस्टिंग हरिद्वार जिले के रूड़की के आर्मी हॉस्पिटल में हुई थी।
राजनीती में उपलब्धियां
रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ (Ramesh Pokhriyal ‘Nishank’) भारतीय जनता पार्टी के एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं। रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ 1996 में प्रथम बार उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए कर्णप्रयाग निर्वाचन-क्षेत्र से चुने गए थे। इसके बाद 1993 और 1996 में पुनः उसी निर्वाचन-क्षेत्र से उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए चुने गए।
1997 में वे उत्तर प्रदेश राज्य सरकार के उत्तरांचल विकास मंत्री बनें। वह 16 वीं लोकसभा में संसद के एक सदस्य है और 2009 से 2011 तक उत्तराखंड के मुख्यमंत्री भी थे। 2019 के आम चुनाव में भी वे हरिद्वार सीट से लोकसभा पहुँचने में कामयाब रहे और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली राज्य-सरकार में इन्हें मानव संसाधन विकास मंत्री बनाया गया।
‘‘मैं हमेशा से ही ‘निशंक’ की राष्ट्रभक्ति से परिपूर्ण कविताओं से प्रभावित रहा हूँ। मैंने उन्हें सदैव राष्ट्रकवि के रूप में देखा है।’’
-पद्मश्री रामानन्द सागर, फिल्म निर्माता, निर्देशक।
साहित्य से लगाव
श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ (Ramesh Pokhriyal ‘Nishank’) मौलिक रूप से साहित्यिक विधा के व्यक्ति हैं। अब तक हिन्दी साहित्य की तमाम विधाओं कविता, उपन्यास, खण्ड काव्य, लघु कहानी संस्कृतिक, पर्यटन, यात्रा वृतांत, बाल कहानी और व्यक्तित्व विकास सहित कुल पांच दर्जन से अधिक पुस्तकें लिख चुके हैं
उनकी प्रकाशित कृतियों ने उन्हें हिन्दी साहित्य में सम्मानजनक स्थान दिलाया है। राष्ट्रवाद की भावना उनमें कूट-कूट कर भरी हुई है। यही कारण है कि उनका नाम राष्ट्रकवियों की श्रेणी में शामिल है। डॉ0 ‘निशंक’ की प्रथम रचना कविता संग्रह ‘समर्पण’ का प्रकाशन 1983 में हुआ था।
तब से अब तक उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और आज भी तमाम व्यस्तताओं के बावजदू उनका लेखन जारी है। आपको जानकार हैरानी होगी कि ये डॉ0 ‘निशंक’ के साहित्य की प्रासंगिकता और मौलिकता है कि अब तक उनके साहित्य को विश्व की कई भाषाओं जर्मन, अंग्रेजी, फ्रैंच, नेपाली सहित भारत की तमिल, तेलुगू, कन्नड़, मलयालम, मराठी, गुजराती, पंजाबी, संस्कृत आदि अनेक भाषाओं में अनूदित किया जा चुका है।
‘‘समर्पण एवं नवांकुर की कविताएं अत्यंत सुंदर हैं। सरल और सरस भाषा के माध्यम से कवि बहुत कुछ कह गया है।’’
-श्री हरिवंशराय बच्चन, विख्यात साहित्यकार
रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ के साहित्य पर अंतर-राष्ट्रीय स्तर पर शोध जारी है
इसके अलावा इनके साहित्य को मद्रास, चेन्नई तथा हैंबर्ग विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। उनके साहित्य पर अब तक शिक्षाविद् डॉ0 श्यामधर तिवारी, डॉ0 विनय डबराल, डॉ0 नगेन्द्र, और डॉ0 सुधाकर तिवारी सहित अनेक शिक्षाविदों द्वारा समी़क्षा ग्रंथों एवम् पुस्तकों का प्रकाशन किया जा चुका है।
डॉ0 ‘निशंक’ के साहित्य पर कई राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालयों (गढ़वाल विश्वविद्यालय, कुमाऊं विश्वविद्यालय, सागर विश्वविद्यालय, मद्रास विश्वविद्यालय, हैंबर्ग विश्वविद्यालय जर्मनी, लखनऊ विश्वविद्यालय तथा मेरठ विश्वविद्यालय) में शोध कार्य हो चुका है और अभी भी चल रहा है।
‘‘सक्रिय राजनीति में रहते हुए भी जिस तरह से डाॅ0 ‘निशंक’ साहित्य के क्षेत्र में लगातार संघर्षरत हैं, वह आम आदमी के बस की बात नहीं है। मुझे पूर्ण विश्वास है कि वे अपनी लेखनी के जरिए देश के नीति नियंताओं के समक्ष विभिन्न मुद्दों को लेकर अनेक प्रश्न खड़े करते रहेंगे।’’
-श्री अटल बिहारी वाजपेयी, भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री। (मई 2007)
डॉ0 ‘निशंक’ द्वारा लिखी गयी प्रमुख कृतियाँ
कहानी संग्रह
- रोशनी की एक किरण (1986)
- बस एक ही इच्छा (1989)
- एक और कहानी (2002)
- भीड़ साक्षी है (1993)
- क्या नहीं हो सकता (1993)
उपन्यास संग्रह
- मेजर निराला (1997)
- पहाड़ से ऊंचा (2000)
- निशान्त (2008)
- बीरा (2008)
मुख्य लेख
- स्पर्श गंगा: उत्तराखण्ड की पवित्र नदियां
- आओ सीखें कहानियों से (बाल कहानियां- हिन्दी एवं अंग्रेजी), 2010
- हिमालय का महाकुम्भः नन्दा देवी राजजात (पावन पारम्परिक यात्रा), 2009
- सफलता के अचूक मंत्र (व्यक्तित्व विकास- हिन्दी एवं अंग्रेजी), 2010
- कर्म पर विश्वास करें, भाग्य पर नहीं (व्यक्तित्व विकास), 2011
विभिन्न भाषाओं में अनूदित कृतियाँ
- बस एक ही इच्छा (कहानी संग्रह) Nur Ein Wunsch (जर्मन)
- भीड़ साक्षी है (कहानी संग्रह) The Crowd Bears Witness (अंग्रेजी)
- खड़े हुए प्रश्न (कहानी संग्रह) En Kelvikku Ennabathil (तमिल)
- ऐ वतन तेरे लिए (कविता संग्रह) Janmabhoomi (तेलुगु)
- ऐ वतन तेरे लिए (कविता संग्रह) Tayanade Unakkad (तमिल)
‘‘मैंने डाॅ0 निशंक की महान कृति ‘ए वतन तेरे लिए’ को पढ़ा, समझा और उनका मनन किया। मैं विश्वास के साथ कह सकता हूँ कि हिमालय से निकली ‘निशंक’ की गंगामयी काव्यधारा राष्ट्र के निर्माण में नींव का पत्थर बनेगी। डाॅ0 निशंक ने कवि के रूप में दैदीप्यमान सूर्य की तरह सशक्त उपस्थिति दर्ज कराई है। उनकी अबाध साहित्यिक यात्रा हिन्दी की समृद्धि एवं श्रीवृद्धि में बड़ी भूमिका निभाएगी।’’
-डाॅ0 एपीजे अब्दुल कलाम, भारत के तत्कालीन महामहिम राष्ट्रपति। (जून 2007)
सम्मानित और पुरस्कृत
- भारत गौरव सम्मान।
- हिन्दी गौरव सम्मान।
- साहित्य मनीषि सम्मान।
- साहित्य भूषण सम्मान।
- ग्राफिक इरा, डीम्ड विश्वविद्यालय, उत्तराखण्ड द्वारा साहित्य के क्षेत्र में डी.लिट. की मानद उपाधि।
- अंतर्राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, कोलम्बो द्वारा साहित्य के क्षेत्र में डी.लिट. की मानद उपाधि।
- पूर्व राष्ट्रपति डाॅ0 ए.पी.जे. अब्दुल कलाम द्वारा साहित्य गौरव सम्मान।
- भारत सरकार द्वारा ‘‘हिमालय का महाकुम्भ- नंदा राज जात’’ पुस्तक पर वर्ष 2008-09 का राहुल सांकृत्यायन पुरस्कार।
- हिन्दी साहित्य सम्मेलन, इलाहाबाद (उ0प्र0) द्वारा विद्या वाचस्पति की उपाधि।
- नालंदा विद्यापीठ, बिहार द्वारा साहित्य वाचस्पति की उपाधि।
- असाधारण एवं उत्कृष्ट साहित्य सृजन हेतु श्रीलंका, हाॅलैंड, नौर्वे, जर्मनी और माॅस्को में सम्मानित।
- सुप्रसिद्ध फिल्म निर्माता पद्मश्री रामानन्द सागर एवं मुंबई की विभिन्न साहित्य संस्थाओं द्वारा साहित्यचेता सम्मान।
- मॉरिशस गणतंत्र द्वारा देश के सर्वोच्च मॉरिशस सम्मान से सम्मानित ग्लोबल आर्गेनाइजेशन ऑफ़ इंडियन ऑरिजिन, गोपियो द्वारा असाधारण उपलब्धि सम्मान।
- देश-विदेश के अनेक साहित्यिक एवं सामाजिक संस्थाओ द्वारा राष्ट्र गौरव, भारत गौरव, प्राइड ऑफ़ उत्तराखंड एवं युथ आइकॉन अवार्ड।
‘‘राजनीति में अत्यंत व्यस्त होने के बावजूद निरंतर लेखन डाॅ. निशंक की साहित्य प्रतिभा को दर्शाता है। उनका लेखन राष्ट्र और लोगों को आपस में जोड़ता है।’’
-पद्मश्री रस्किन बाॅण्ड, विख्यात साहित्यकार
साहित्य में महान हस्तियों द्वारा सराहना
‘‘डाॅ0 ‘निशंक’ जैसे रचनात्मक एवं संवेदनशील साहित्यकार को सम्मानित करते हुए मैं गर्व का अनुभव कर रहा हूँ। डाॅ0 निशंक द्वारा लिखी गई कहानियों को मैंने गंभीरता से पढ़ा। उनकी कहानियों में हिमालयी जीवन के दुःख-दर्द एवं जीवट परिस्थितियों का साक्षात प्रतिविम्ब देखा जा सकता है।
-डाॅ0 नवीन रामगुलाम, मा. प्रधानमंत्री, माॅरिशस गणराज्य
‘‘डाॅ0 रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, साहित्यिक विधाओं का बेजोड़ संगम हैं। उनकी कविताएं जहां एक ओर आमजन को राष्ट्रीयता की भावना से जोड़ती हैं, वहीं उनकी कहानियां पाठकों को आम आदमी के दुःख-दर्द व यथार्थता से परिचित कराती हैं। मैं गर्व से कह सकता हूँ कि मैं भारत के एक ऐसे व्यक्ति से मिला हूँ, जो विलक्षण, उदार हृदय, विनम्र, राष्ट्रभक्त, प्रखर एवं संवेदनशील साहित्यकार है।’’
-सर अनिरुद्ध जगन्नाथ, महामहिम राष्ट्रपति, माॅरिशस गणराज्य
(Content Source: Wikipedia, Oneindia, Sm Education Gov . in)
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