IPO क्या होता है | कैसे और कहाँ Apply करते हैं | IPO की पूरी जानकारी – Gyaani Mind

IPO क्या होता है | कैसे और कहाँ Apply करते हैं | IPO की पूरी जानकारी – Gyaani Mind
आप में से काफी सारे लोग IPO में पैसा लगाना चाहते होंगे या हो सकता है कि जानकारी ना होने के कारण IPO के लिए अप्लाई ना कर पाते हों। हमें इसमें निवेश कैसे करना है, लॉट (Lot) क्या होता है, Shares की Allotment कैसे होती है या फिर आईपीओ का पूरा प्रोसेस क्या होता है। इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आपके सारे सवालों के जवाब आपको मिल जाएंगे और आप खुद बिना किसी की मदद के किसी भी कंपनी के IPO में अप्लाई भी कर पाएंगे।
Table of Contents
आईपीओ (IPO) क्या होता है?
आईपीओ (IPO) का मतलब Initial Public Offering होता है। जब भी कोई कंपनी पब्लिक से पैसा Raise करना या उठाना चाहती है तो उसे Stock Market में लिस्ट होना पड़ता है। इसी को IPO कहा जाता है। आईपीओ में कंपनी NSE (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज) या BSE (बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज) में लिस्ट हो जाती है और आईपीओ में इन्वेस्टर्स निवेश करते हैं।
Funding Stages
IPO लाने से पहले कंपनी फंडिंग की अलग-अलग Stages से गुज़रती है। कंपनी के शुरू होने से आईपीओ तक के प्रोसेस को देखा जाये तो करीब चार Stages से कंपनी गुज़रती है। जानते हैं इन Stages के बारे में –
Promoter Funds: कंपनी के शुरूआती दौर में अपनी Savings, Friends या Family Members से जो भी पैसा लगाया जा सकता है, वो सब Promoter Funds में आता है।
Angel Investors: जब कंपनी थोड़ी सी ग्रो होती हैं तो Angel Inverstor थोड़ा पैसा डालता है। एंजेल इन्वेस्टर वो होते हैं जो किसी भी नयी कंपनी के शुरूआती दौर में उसमे पैसा लगाने में दिलचस्पी रखते हैं।
Venture Capital & Private Equity Firms: ये वो हैं जो कंपनी के शुरुआती इन्वेस्टर्स के बाद Long Term के लिए कंपनी में Growth देख कर थोड़ा ज़्यादा पैसा लगाते हैं जिससे कंपनी और ज़्यादा एक्सपैंड कर सके।
IPO: आईपीओ में कंपनी NSE (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज) या BSE (बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज) में लिस्ट हो जाती है और आईपीओ में इन्वेस्टर्स निवेश करते हैं।
IPO की ज़रूरत क्यों होती है?
कंपनी को अगर पैसा या फंड्स Raise करना है तो IPO एक बहुत अच्छा तरीका है Equity Funds Raise करने का। अभी तक कंपनी हो सकता है प्राइवेट इक्विटी (Private Equity) या प्राइवेट इन्वेस्टर्स (Private Investors) से पैसा उठा रही थी लेकिन हो सकता हैं वो लोगों के पास उतना पैसा ना हो जितना कंपनी को चाहिए। इसलिए कंपनी को अब पब्लिक की मदद लेनी होगी क्यूँकि पब्लिक में इन्वेस्टर्स या पैसे लगाने वाले लोगों की संख्या काफी बढ़ जाती है। उनमे से भी Institutional Investors से पैसा उठाया जा सकता है जिनके पास बहुत ज़्यादा पैसा होता है जैसे की Mutual Funds और Pension Funds हैं।
आईपीओ (IPO) लाने के मुख्य कारण होते हैं –
- Expansion: कोई भी कंपनी अगर Expand करना चाहती है तो उसे ज़्यादा Fund की ज़रूरत होती है।
- Clear Loans: हो सकता है कंपनी ने पहले कुछ Loans लिए हों जिन्हे वो ख़त्म करना चाहती हो तो उसके लिए भी ज़्यादा Funds की ज़रूरत पड़ेगी।
- Exit of Previous Investors: कंपनी के शुरुआती दौर में जिन लोगों ने पैसा लगाया था जैसे की एंजेल इन्वेस्टर्स (Angel Investors) या PE Firms हैं वो लोग अगर इससे एग्जिट करना या अपने शेयर्स बेचना चाहते हैं तो जब कंपनी Stock Exchange पर लिस्ट होती है तब वो अपने शेयर्स बेच सकते हैं क्यूँकि उस वक़्त इन्वेस्टर्स बहुत ज़्यादा हो जाते हैं और शेयर्स आसानी से किसी भी इन्वेस्टर बेचे जा सकते हैं।
ये सभी एक कंपनी के लिए IPO लाने के कुछ मुख्य कारण होते है।
Process for IPO (आईपीओ की प्रक्रिया)
आईपीओ के प्रोसेस में कुछ Steps होते हैं जो एक कंपनी को Follow करने होते हैं।
1. Hiring Investment Banks:
सबसे पहले कंपनी को एक इन्वेस्टमेंट बैंक को हायर (Hire) करना होता है। इस Investment Bank को Merchant Bank भी बोलते हैं। किसी भी कंपनी को List होने के लिए इन इन्वेस्टमेंट बैंक्स की ज़रूरत पड़ती ही है। ये Banks कुछ बड़े बैंक्स में से कोई भी हो सकते हैं जैसे ICICI, HDFC, SBI, AXIS आदि और इन Banks के अपने Investment Bank Arms भी हैं तो आईपीओ (IPO) लेके आते हैं।
2. Legal Documentation:
अगला Step रहता है कंपनी के लिए Legal Documentation का जिसमे Firm Commitment दी जाती है। इन Commitments में कन्फर्मेशन भी रहती है कि इन्वेस्टमेंट बैंक कंपनी को इतना पैसा मार्केट से Raise करके देगा और इसमें कुछ कम ज़्यादा भी रहता है तो वो भी बैंक के हिस्से में आता है। इसके अलावा Past की Information और Future Plans लिखे जाते हैं।
3. Pricing:
तीसरा Step आता है कंपनी की Pricing की जिसमे कंपनी की Valuation, Face Value, Issue Price ये सब चीज़े तैयार की जाती हैं जो कि पूरी तरह से Bank की ज़िम्मेदारी रहती है। इसी में कंपनी का Lot Size भी Decide किया जाता है जिसमे एक Lot में कितने शेयर्स आएंगे ये तय किया जाता है। आईपीओ में कंपनी का एक Price Band (जैसे: Rs. A - Rs. C )तैयार किया जाता है जिसमे एक Price से किसी दूसरी Price तक या उसके बीच की Bid IPO के लिए अप्लाई करते वक़्त लगाई जा सकती है। प्राइस बैंड की इन दोनों Amount के बीच ज़्यादा से ज़्यादा सिर्फ 20% तक का ही अंतर हो सकता है।
4. Distribution:
इस Step में कंपनी और इन्वेस्टमेंट बैंक को अपने Issues को अलग अलग इन्वेस्टर्स को बेचेंगे। इनमे शामिल हैं Qualified Institutional Buyers (QIBs), Non-Institutional Investors और Retail Investors। ये सभी Distribution Networks में आते हैं।
5. Application Process:
Distribution होने के बाद Application Process शुरू हो जाता है जितने भी क्वालिफाइड इंस्टीटूशनल बायर हैं या Non-Institutional Investors और Retail Investors हैं वो अगर इस कंपनी में इन्वेस्ट करने में Interested होंगे कि वैल्यूएशन काफी अच्छी मिल रही है या Future Growth काफी अच्छी लग रही है तो अप्लाई कर सकते हैं। ऐसा भी हो सकता है कि Application ज़्यादा भी हो जाएँ या IPO Over-Subscribe हो जाएँ तो ऐसे केस में हर किसी को शेयर्स मिलें ये ज़रूरी नहीं होता है।
6. Share Allotment:
Share Allotment में हर तरह के Investor का एक कोटा तय रहता है। आज के समय में बात करें तो Qualified Institutional Buyers (QIBs) का 50% का कोटा होता है, Non-Institutional Investors का 15% का और Retail Investors का 35% का कोटा होता है। इसी हिसाब से शेयर्स अलॉट होते हैं।
7. Listing on Stock Exchange:
अगला स्टेप होता है कंपनी के लिस्ट होने का। National Stock Exchange (NSE) हो या Bombay Stock Exchange (BSE) जहाँ पर भी कंपनी लिस्ट होना चाह रही है वहां पर ही उसकी Listing हो जाएगी। किसी भी कंपनी की लिस्टिंग में कुछ चीज़े ध्यान रखने वाली हैं या कितना समय लगता है -
- किसी भी IPO की Window 3-5 दिन के लिए ही खुलती है और इसी समय पर आपको इश्यू के लिए Apply करना होता है।
- IPO में आप UPI या ASBA से Pay कर सकते हैं।
- अब आप सीधा अपने Stock Broker के ज़रिये UPI से भी अप्लाई कर सकते हैं।
- Application Window बंद होने के तीन दिन के अंदर कंपनी को लिस्टिंग करनी होती है।
- कंपनी तक फंड्स और इन्वेस्टर्स तक शेयर्स पहुंचने का प्रोसेस काफी तेज़ हो चूका है।
IPO के लिए कहाँ से Apply कर सकते हैं
IPO के लिए अगर आप Apply करना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको एक डीमैट अकाउंट (Demat Account) खुलवाना पड़ता है जो किसी भी Broker से खुलवाया जा सकता है। किस भी अच्छे और विश्वसनीय स्टॉक ब्रोकर (Stock Broker) पर आप अपना Demat Account खुलवा सकते हैं। अभी मौजूद कुछ चर्चित और अच्छे ब्रोकर में नीचे दिए गए कुछ नाम शामिल हैं।
6 Best Demat Accounts in India
- Zerodha
- Indian Infoline (IIFL)
- ICICI Direct
- Angel Broking
- HDFC Securities
- Kotak Securities
IPO के लिए कैसे Apply करें
Demat Account खुल जाने के बाद IPO के लिए एप्लीकेशन देना बहुत ही आसान होता है। नीचे दिए गए स्टेप्स को फॉलो करके आप बड़े ही आसानी से किसी भी आईपीओ के लिए अप्लाई सकते हैं। Zerodha की Kite App से IPO Application प्रोसेस को दिखाया गया है।
- Zerodha का अकाउंट Login करें
- My Account में जाएँ (लाल निशान से दर्शाया गया है)

- IPO पर Click करें

- IPO Window में अपनी पसंदीदा कंपनी के आगे Bid के निशान पर Click करें

- ऐसी स्क्रीन खुल के आएगी जिसमे आपकी सारी जानकारी भरी हुई होगी
- Qty में शेयर्स की कुल संख्या डालनी है जितने भी एक Lot में शेयर होंगे। अगर एक Lot से ज़्यादा लेने हैं तो उतने Lot में कुल जितने भी शेयर्स आएंगे।
- इसके अलावा Price Band की जिस प्राइस पर भी बिड करना या लेना चाहते होंगे वो प्राइस डालनी होगी। Cutoff-Price का मलतब है प्राइस बैंड में से जितने रूपए पर भी एक शेयर Allot किया जायेगा। चाहे किसी भी प्राइस पर Allot हो आपको उसी प्राइस पर मिल जाये।

- T&Cs पर Tick करने के बाद Submit करना है।

- Apply करने के बाद आपके UPI पर पैसे काटने या फिर उस अमाउंट को आपके अकाउंट में Block करने के लिए Notification मिलेगी जहाँ से आप सीधा पेमेंट कर सकते हैं। कभी-कभी ये Notification मार्केट बंद होने के बाद (4.30 PM Monday to Friday) के समय पर आती है।
- Apply करने के कुछ दिन बाद शेयर्स की Allotment होती है और शेयर्स आपके Demat Account में Credit कर दिए जाते हैं। अगर आपको शेयर्स Allot नहीं होते हैं तो आपके पैसे वापिस भेज दिए जाते हैं।
- Allotment के कुछ दिन बाद कंपनी स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट होती है और तब आप अगर अपने शेयर्स बेचना चाहें तो तुरंत बेच सकते हैं।
FAQ

Q.: IPO क्या होता है? IPO Meaning और IPO Full Form?
Ans: आईपीओ (IPO) का मतलब Initial Public Offering होता है। जब भी कोई कंपनी पब्लिक से पैसा Raise करना या उठाना चाहती है तो उसे Stock Market में लिस्ट होना पड़ता है। इसी को IPO कहा जाता है। आईपीओ में कंपनी NSE (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज) या BSE (बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज) में लिस्ट हो जाती है और आईपीओ में इन्वेस्टर्स निवेश करते हैं।
Q.: IPO की ज़रूरत क्यों होती है?
Ans.: कंपनी को अगर पैसा या फंड्स Raise करना है तो IPO एक बहुत अच्छा तरीका है Equity Funds Raise करने का। अभी तक कंपनी हो सकता है प्राइवेट इक्विटी (Private Equity) या प्राइवेट इन्वेस्टर्स (Private Investors) से पैसा उठा रही थी लेकिन हो सकता हैं वो लोगों के पास उतना पैसा ना हो जितना कंपनी को चाहिए। इसलिए कंपनी को अब पब्लिक की मदद लेनी होगी क्यूँकि पब्लिक में इन्वेस्टर्स या पैसे लगाने वाले लोगों की संख्या काफी बढ़ जाती है। उनमे से भी Institutional Investors से पैसा उठाया जा सकता है जिनके पास बहुत ज़्यादा पैसा होता है जैसे की Mutual Funds और Pension Funds हैं।
(Content Source: AssetYogi Youtube Channel)
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