क्या आप अपने छेत्र के GI Tag प्रोडक्ट के बारे में जानते हैं? – Gyaani Mind

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क्या आप अपने छेत्र के GI Tag प्रोडक्ट के बारे में जानते हैं? – Gyaani Mind

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अगर नहीं तो आइये जानते हैं GI Tag के बारे में!

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Image source: Unsplash

हम सब जानते हैं कि भारत विविधताओं से भरा देश है! जो पूर्व में है वो पश्चिम में नही है और जो पश्चिम में है वो नही है! ऐसा ही उत्तर और दक्षिण के बारे में है लेकिन हर एक क्षेत्र की अपनी एक विशिष्टता होती है जिससे उसकी पहचान जुड़ी होती है! आज हम ऐसे ही कुछ विशेष उत्पादों के बारे में जानेंगे जो ख़ास क्षेत्र विशेष में निर्मित होते हैं और इसी खासियत के चलते उन्हें सरकार देती है GI Tag

यानि Geographical Indication का दर्जा!

क्या होता है ये GI Tag?

Geographical Indication को हिंदी में भौगोलिक संकेतक कहते हैं! भारत में सबसे पहला GI Tag वर्ष 2004 में Darjeeling चाय को दिया गया था! उसके बाद से हर साल GI Tag किसी ना किसी उत्पाद को अपनी मूल-क्षेत्रीय पहचान के कारण दिया जाता है!

भारतीय संसद ने वर्ष 1999 में Geographical Indication of Goods (Registration and Protection) एक्ट पारित किया था! जो सितम्बर 2003 से लागू हुआ! इसे उद्योग एवं वाणिज्य मंत्रालय द्वारा जारी किया जाता है! इस आधार पर किसी वस्तु को विशिष्ट स्थान से जुड़े होने के कारण कानूनी दर्जा प्राप्त हो जाता है! अंतर-राष्ट्रीय स्तर पर GI Tag को विश्व-व्यापार संगठन यानी WTO के ट्रिप्स समझौते के तहत रेगुलेट किया जाता है!

GI Tag किन चीज़ो के आधार पर दिया जाता है?

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Image Source: Google

भारत में किसी वस्तु को एक GI Tag देने से पहले उसकी अच्छी तरह से जाँच की जाती है और ये निश्चित किया जाता है कि मूल रूप से उसका निर्माण या उसकी पैदावार उसी छेत्र या राज्य में हो जहाँ की दावेदारी की गयी है! भारत में GI Tag फसल, प्राकृतिक या निर्मित सामान को प्रदान किया जाता है!

आपने पिछले साल रसगुल्ले को लेकर हुए विवाद के बारे में सुना होगा! उड़ीसा और पश्चिम-बंगाल राज्य के बीच रसगुल्ले के GI Tag को लेकर ही कानूनी विवाद हुआ था! आपको यहाँ बता दें कि ये GI Tag 10 वर्षों के लिए मान्य होता है जिसे फिर से निश्चित शुल्क देकर अगले 10 सालों के लिए बढ़वा लिया जाता है!

ये किसी व्यक्ति को या संगठन को भी दिया जा सकता है! ये पेटेंट से थोड़ा अलग मामला है क्यूँकि पेटेंट में एक नए आविष्कार और खोज को बचाये रखा जा सकता है! जबकि GI Tag भौगोलिक छेत्र की पहचान से जुड़ा हुआ मसला है! यानी वो जो उत्पाद है वो Originally उसी छेत्र से जुड़ा हुआ होना चाहिए!

किन-किन चीज़ो को दिया गया है Tag?

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Image Source: Unsplash

भारत में बनारसी साड़ी, चंदेरी साड़ी, कांजीवरम की साड़ी, दार्जीलिंग चाय, मलीहाबादी आम, महाबलेश्वर की स्ट्रॉबेरी, जयपुर की ब्लू-पॉटरी, तिरुपति के लड्डू, काँगड़ा पेंटिंग, कुर्ग की अरेबिका कॉफ़ी, नागपुरी संतरा, कश्मीर का पश्मीना, मगही पान, बिहार की शाही लीची ऐसे ही GI उत्पाद हैं!

काफी समय पहले जब मध्य-प्रदेश के झाबुआ ज़िले के कड़कनाथ मुर्गे को GI Tag मिला तो सबकी दिलचस्पी जाएगी की आखिर इस मुर्गे में ऐसा है क्या! आपने भी सुना होगा! दरअसल, कड़कनाथ एक ऐसा मुर्गा है जिसमे प्रोटीन की मात्रा ज़्यादा और फैट की मात्रा कम होती है इसलिए इसको लेकर सबकी दिलचस्पी जागी थी!

पिछले साल तेलंगाना के तेलिया रुमाल समेत बहुत से उत्पादों को ये टैग मिला तो इस साल गोवा की बेबिनका मिठाई, चम्बा की सालुनि घाटी के मक्का को GI Tag मिलने की उम्मीद है! वहीं हापुस आम को लेकर विवाद बनता दिख रहा है दो राज्यों के बीच!

पूरे भारत की बात करें तो करीब 300 से ज़्यादा उत्पादों को GI Tag मिला हुआ है और सबसे ज़्यादा GI Tag उत्पाद कर्नाटक के पास है! अब बात करते हैं इनके लाभ की ! अगर GI Tag मिल गया तो फायदा क्या है?

Tag मिलने के फायदे क्या हैं?

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Image Source: Apoorva Food

पहला फ़ायदा तो ये की GI Tag मिलने के बाद उत्पाद के दाम बहुत अच्छे मिलते हैं! दूसरा, निर्यात में बढ़ावा मिलता है! तीसरा, छेत्र की पहचान बढ़ती है और चौथा, उत्पाद की गुड़वत्ता पर विश्वास पैदा होता है!

तो अगली बार जब भी कभी आप घूमने जाएँ तो उस छेत्र के GI Tag उत्पाद के बारे में पहले ही पता करके जाइएगा ताकि वहाँ की उत्कृष्ट वस्तु अपने साथ आप वापस ला सकें! लेकिन उससे पहले ये ज़रूर खोज ली जियेगा की जहाँ आप रहते हैं वहाँ के किसी प्रोडक्ट को GI Tag तो नहीं मिला! क्या पता कोई आपसे पूछ ही ले तो क्या जवाब देंगे!

तो बताइये कि क्या आपके छेत्र की किसी वस्तु को GI टैग मिला है? अगर मिला है तो उसका नाम Comment Box में ज़रूर बताएं!

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(Content Source: Youtube Channel – Dhyeya IAS)

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